फुलजसी या कोमल पुरो घरं चहकसे | गुण सिखकर नवा समाजमा महकसे ||३ फुलजसी या कोमल पुरो घरं चहकसे | गुण सिखकर नवा समाजमा महकसे ||३
जहाँ मदहोशी का आलम न हो, बड़ी बड़ी बातें न हो, रातों से लंबे सपने न हो जहाँ मदहोशी का आलम न हो, बड़ी बड़ी बातें न हो, रातों से लंबे सपने न हो
करूंगी उजाला जैसे फुलझड़ी हूं, आने दो न पापा मैं तो आपकी परी हूं। करूंगी उजाला जैसे फुलझड़ी हूं, आने दो न पापा मैं तो आपकी परी हूं।
गुस्सा के जितना हो मुझ को तू दिखा सकता है। गुस्सा के जितना हो मुझ को तू दिखा सकता है।
चमकते सितारे की कारीगरी है उस पर, जैसे गुरूर हो उजियारे का, चमकते सितारे की कारीगरी है उस पर, जैसे गुरूर हो उजियारे का,
ऐसा लगता था मानो मुझको, जन्नत आज नसीब हुई थी। ऐसा लगता था मानो मुझको, जन्नत आज नसीब हुई थी।